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मेरे प्यारे भक्तों पूजा तो सब लोग करते हैं लेकिन उन सभी लोगों को पूजा करने की सही विधि पता नहीं रहता है और नाही सभी लोगो को नियम पता रहता, आरती कैसे करने हैं वह पता नहीं रहता, मंत्र कैसे जाप करने है वह पता नहीं रहता तो मैं आप लोगों को नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा कैसे करने हैं आरती कैसे करने हैं मंत्र का जाप कैसे करना है पूजा से पहले की विधि क्या है और सही नियम क्या है क्या-क्या हमें करना है और क्या-क्या हमे नहीं करना है नवरात्रि में वह सभी जानकारी दूंगा अगर आप पढ़ना चाहते है तो ये बिलकुल फ्री हैं आज के लिए आप चाहे तो पढ़ सकते है।
दोस्तों क्या आप जानते हैं कि हम नवरात्रि में जो- मां दुर्गा की नौ रूपों की पूजा करते हैं उन सभी रूपों का नाम क्या है मां जगत जननी जगदंबा के कौन से दिन कौन से देवी की पूजा करते हैं अगर नहीं जानते हैं तो नीचे ध्यान पूर्वक पढ़े:-
शैलपुत्री माता पूजा विधि और शैलपुत्री माता मंत्र
शैलपुत्री माता पूजा विधि:
सबसे पहले दोस्तो स्थान और समय- तो पूजा के लिए स्वच्छ और शांत स्थान चुनें और नवरात्रि के पहले दिन से पूजा नियम के साथ शुरू करे ये आपकी जिवन के लिऐ काफी लाभकारी होगा।
उसके बाद दोस्तो आप लोगो को-
स्नान*:- पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। उसके बाद**सामग्री**: तो दोस्तो आपलोग
-**दीपक**: घी या तेल का दीपक जलाएँ।
- **फूल**: ताजे फूल अर्पित करें।
- **फल**: विभिन्न फल और मीठे पदार्थ चढ़ाएँ।
- **कच्चा दूध**: माता को दूध अर्पित करें।
4. शैलपुत्री माता पूजा विधि:
- माता की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठें।
- दीपक जलाएँ और अगरबत्ती लगाएँ।
- माता को फूल, फल और प्रसाद अर्पित करें।
- नीचे दिए गए मंत्रों का जप करें।
5. शैलपुत्री माता मंत्र जप:
- "ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।"
- "ॐ ह्लीं शैलपुत्र्यै नमः।"
- 108 बार मंत्र का जप करें।
इस मंत्र का जाप करने से देवी शैलपुत्री की कृपा प्राप्त होती है और मानसिक शांति मिलती है। यदि आप विशेष पूजा या मंत्र जाप करना चाहते हैं, तो निष्ठा और श्रद्धा के साथ करें।
6. शैलपुत्री माता आरती:
- पूजा के अंत में माता की आरती करें और उसके बाद प्रसाद वितरित करें।
मेरे प्यारे भक्तो सबसे ज्यादा जरूरी है वह है नियम नियम कैसे पालन करना है क्या-क्या नियम करना है उसके बारे में नीचे लिखा गया हैं आप अच्छे से ध्यान पूर्वक पढ़े:-
पूजा नियम:
1. **निष्ठा और श्रद्धा**: पूरे मन से पूजा करें और श्रद्धा रखें।
2. **स्वच्छता**: पूजा स्थल और अपने आस-पास स्वच्छता बनाए रखें।
3. **सकारात्मकता के साथ रहे: नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
4. **व्रत**: विशेष दिन पर व्रत रखने से माता की कृपा अधिक मिलती है।
5. **समर्पण**: सभी क्रियाएँ समर्पण भाव से करें।
इन नियमों का पालन करके आप शैलपुत्री माता की पूजा कर सकते हैं।
इन मंत्रों का जाप करने से माता की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। नियमित रूप से इनका जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा और साहस प्राप्त होता है।
शैलपुत्री माता की पूजा करने के लिए निम्नलिखित नियम और विधियाँ अपनाएँ:
ब्रह्माचारिणी माता पूजा विधि और ब्रह्माचारिणी माता मंत्र
ब्रह्माचारिणी माता पूजा विधि:
1. **स्थान और समय**:- पूजा के लिए स्वच्छ और शांत स्थान चुनें। और सही समय पर पूजा करें
2. **स्नान**:- पूजा से पहले स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।
3. **पुजाविधि**:- दीपक जलाएं, पूजा स्थल पर दीपक या मोमबत्ती रखें। और फूल और फल माता को फूल और फल अर्पित करें और पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण बनाकर माता को अर्पित करें। और माता की तस्वीर या मूर्ति, माता की तस्वीर के सामने पूजा करें।
4. ब्रह्माचारिणी माता मंत्र:-
नीचे दिए गए मंत्रों का जप करें। 108 बार जप करना विशेष लाभकारी होता है।
5. आरती:- पूजा के अंत में माता की आरती करें।
6. **प्रसाद:- माता को चढ़ाए गए फल-फूल का प्रसाद भक्तों में बांटें।
ब्रह्माचारिणी माता पूजा नियम:-
1. **निष्ठा और श्रद्धा**: पूजा में पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा रखें।
2. **सत्य बोलना**: पूजा के दौरान सत्य बोलें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
3. **साधना**: नियमित साधना करने से माता की कृपा प्राप्त होती है।
इन नियमों का पालन करके आप ब्रह्माचारिणी माता की पूजा कर सकते हैं।
ब्रह्माचारिणी माता का प्रमुख मंत्र है:
"ॐ देवी ब्रह्माचारिण्यै नमः।"
इसके अलावा, आप निम्नलिखित मंत्र का भी जाप कर सकते हैं:
"ॐ ह्लीं ब्रह्माचारिण्यै नमः।"
इन मंत्रों का जाप करने से साधक को ध्यान, संयम और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। श्रद्धा और विश्वास के साथ इनका जाप करें।
ब्रह्माचारिणी माता की पूजा करने के लिए कुछ विशेष नियम और विधियाँ हैं:
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चंद्रघंटा माता पूजा विधि और चंद्रघंटा माता मंत्र
चंद्रघंटा माता पूजा विधि:-
1. **स्थान और समय**:- पूजा के लिए स्वच्छ और शांत स्थान चुनें। और नवरात्रि के तीसरे दिन या मंगलवार को पूजा करना विशेष लाभकारी है।
2. **स्नान**:- पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
3. **सामग्री**:- **दीपक**: घी या तेल का दीपक जलाएँ- **फूल**: ताजे फूल, विशेष रूप से सफेद या पीले फूल अर्पित करें। और फल**: विभिन्न फल और मिठाई चढ़ाएँ। और कच्चा दूध और शहद**: माता को दूध और शहद अर्पित करें।
4. **पूजा विधि**:- माता की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठे। और दीपक जलाएँ और अगरबत्ती धूप दीखाये, फूल, फल और अन्य सामग्री अर्पित करें। और नीचे दिए गए मंत्रों का जप करें।
5. **मंत्र जप**:
- "ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।"
- "ॐ ह्लीं चंद्रघंटायै नमः।"
- 108 बार मंत्र का जप करें।
6. **आरती**:- पूजा के अंत में माता की आरती करें और उसके बाद प्रसाद वितरित करें।
चंद्रघंटा माता पूजा नियम:
1. **निष्ठा और श्रद्धा**: पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ पूजा करें। और स्वच्छता**: पूजा स्थल और अपने आस-पास स्वच्छता बनाए रखें। और नकारात्मक विचारों से दूर रहें और अच्छे विचारों को प्रोत्साहित करें। और व्रत**: विशेष दिन पर व्रत रखने से माता की कृपा अधिक मिलती है। और समर्पण**: सभी क्रियाएँ समर्पण भाव से करें।
इन नियमों का पालन करके आप चंद्रघंटा माता की पूजा कर सकते हैं।
चंद्रघंटा माता का प्रमुख मंत्र है:-
"ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।"
इसके अलावा, आप निम्नलिखित मंत्र का भी जाप कर सकते हैं:
"ॐ ह्लीं चंद्रघंटायै नमः।"
इन मंत्रों का जाप करने से माता चंद्रघंटा की कृपा प्राप्त होती है और मानसिक शक्ति एवं आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इनका जाप करें।
चंद्रघंटा माता की पूजा करने के लिए निम्नलिखित नियम और विधियाँ अपनाएँ:
कुष्मांडा माता पूजा विधि कुष्मांडा माता मंत्र
कुष्मांडा माता पूजा विधि:-
1. **स्थान और समय**:- पूजा के लिए स्वच्छ और शांत स्थान चुनें और नवरात्रि के चौथे दिन या रविवार को पूजा करना विशेष लाभकारी है।
2. **स्नान**:- पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
3. **सामग्री:- **दीपक**: घी या तेल का दीपक जलाएँ। और फूल**: ताजे फूल, खासकर गुलाब या कुमुदिनी अर्पित करें। और फल**: विभिन्न फल, चढ़ाए और मिठाई**: खासतौर पर बेसन की लड्डू या खीर चढ़ाएँ।
4. **पूजा विधि**:-
माता की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठें।
दीपक जलाएँ और अगरबत्ती लगाएँ।
फूल, फल और अन्य सामग्री अर्पित करें।
मंत्रों का जप करें।
5. कुष्मांडा माता मंत्र जाप**:-
- "ॐ देवी कुश्मांडा नमः।"
- "ॐ ह्लीं कुश्मांडा नमः।"
- 108 बार मंत्र का जप करें।
6. **आरती**:- पूजा के अंत में माता की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
कुश्मांडा माता पूजा नियम:-
निष्ठा और श्रद्धा**:-
पूरी निष्ठा और श्रद्धा से पूजा करें। और स्वच्छता**: पूजा स्थल और अपने आस-पास स्वच्छता बनाए रखें। और सकारात्मकता**: अच्छे विचारों और भावनाओं के साथ पूजा करें। और व्रत**: विशेष दिन पर व्रत रखने से माता की कृपा अधिक मिलती है।
और समर्पण**: सभी क्रियाएँ समर्पण भाव से करें।
इन नियमों का पालन करके आप कुष्मांडा माता की पूजा कर सकते हैं।
कुष्मांडा माता का प्रमुख मंत्र है:
"ॐ देवी कुश्मांडा नमः।"
इसके अलावा, आप निम्नलिखित मंत्र का भी जाप कर सकते हैं:
"ॐ ह्लीं कुश्मांडा नमः।"
इन मंत्रों का जाप करने से माता कुष्मांडा की कृपा प्राप्त होती है और साधक को मानसिक शक्ति और संतोष मिलता है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इनका जाप करें। कुष्मांडा माता की पूजा के लिए निम्नलिखित नियम और विधियाँ अपनाएँ:
स्कंदमाता माता पूजा विधि और स्कंदमाता माता मंत्र
स्कंदमाता माता पूजा विधि:
1. **स्थान और समय**:-
पूजा के लिए स्वच्छ और शांत स्थान चुनें। और नवरात्रि के पाँचवें दिन या बुधवार को पूजा करना विशेष लाभकारी है।
2. **स्नान**:-
- पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
3. **सामग्री**:- दीपक**: घी या तेल का दीपक जलाएँ। और फूल**: ताजे फूल, विशेष रूप से सफेद फूल या कमल अर्पित करें। और फल**: विभिन्न फल, जैसे केले और नारियल। और मिठाई**: खासकर खीर या लड्डू चढ़ाएँ।
4. **पूजा विधि**:-
माता की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठें।
दीपक जलाएँ और अगरबत्ती लगाएँ।
फूल, फल और अन्य सामग्री अर्पित करें।
मंत्रों का जप करें।
5. स्कंदमाता माता मंत्र जाप**:
- "ॐ देवी स्कंदमातायै नमः।"
- "ॐ ह्लीं स्कंदमातायै नमः।"
- 108 बार मंत्र का जप करें।
6. **आरती**:- पूजा के अंत में माता की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
स्कंदमाता माता पूजा नियम:-
1. **निष्ठा और श्रद्धा**: पूजा को श्रद्धा और निष्ठा से करें। और स्वच्छता**: पूजा स्थल और अपने आस-पास स्वच्छता बनाए रखें। और सकारात्मकता**: सकारात्मक विचारों और भावनाओं के साथ पूजा करें। और व्रत**: विशेष दिन पर व्रत रखने से माता की कृपा अधिक प्राप्त होती है। और समर्पण**: सभी क्रियाएँ समर्पण भाव से करें।
इन नियमों का पालन करके आप स्कंदमाता माता की पूजा कर सकते हैं।
स्कंदमाता माता का प्रमुख मंत्र है:-
"ॐ देवी स्कंदमातायै नमः।"
इसके अलावा, आप निम्नलिखित मंत्र का भी जाप कर सकते हैं:
"ॐ ह्लीं स्कंदमातायै नमः।"
इन मंत्रों का जाप करने से माता स्कंदमाता की कृपा प्राप्त होती है और मानसिक शक्ति एवं संतोष में वृद्धि होती है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इनका जाप करें।
स्कंदमाता माता की पूजा के लिए निम्नलिखित नियम और विधियाँ अपनाएँ:
कात्यायनी माता पूजा विधि और कात्यायनी माता मंत्र
कात्यायनी माता पूजा विधि:-
1. **स्थान और समय**:- पूजा के लिए स्वच्छ और शांत स्थान चुनें। और नवरात्रि के छठे दिन या शुक्रवार को पूजा करना विशेष लाभकारी है।
2. **स्नान**:- पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
3. **सामग्री**:- दीपक**: घी या तेल का दीपक जलाएँ। और फूल**: ताजे फूल, विशेष रूप से लाल या पीले फूल अर्पित करें। और फल**: विभिन्न फल, जैसे सेब और नारियल। और मिठाई**: विशेष रूप से बेसन के लड्डू या खीर चढ़ाएँ।
4. **पूजा विधि**:- माता की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठें। और दीपक जलाएँ और अगरबत्ती लगाएँ और फूल, फल और अन्य सामग्री अर्पित करें। एवं मंत्रों का जप करें।
5. **कात्यायनी माता मंत्र जाप**:
- "ॐ देवी कात्यायनी नमः।"
- "ॐ ह्लीं कात्यायनी नमः।"
- 108 बार मंत्र का जप करें।
6. **आरती**:- पूजा के अंत में माता की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
कात्यायनी माता पूजा नियम:-
1. **निष्ठा और श्रद्धा**: पूजा को श्रद्धा और निष्ठा से करें। और स्वच्छता**: पूजा स्थल और अपने आस-पास स्वच्छता बनाए रखें। और सकारात्मकता**: सकारात्मक विचारों और भावनाओं के साथ पूजा करें। और व्रत**: विशेष दिन पर व्रत रखने से माता की कृपा अधिक प्राप्त होती है। और समर्पण**: सभी क्रियाएँ समर्पण भाव से करें।
इन नियमों का पालन करके आप कात्यायनी माता की पूजा कर सकते हैं।
कात्यायनी माता का प्रमुख मंत्र है:-
"ॐ देवी कात्यायनी नमः।"
इसके अलावा, आप निम्नलिखित मंत्र का भी जाप कर सकते हैं:
"ॐ ह्लीं कात्यायनी नमः।"
इन मंत्रों का जाप करने से माता कात्यायनी की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। श्रद्धा और भक्ति के साथ इनका जाप करें।
कात्यायनी माता की पूजा के लिए निम्नलिखित नियम और विधियाँ अपनाएँ:
कालरात्रि माता पूजा विधि और कालरात्रि माता मंत्र
कालरात्रि माता पूजा विधि:-
स्थान और समय सब कुछ बताते है पढ़िए पूजा के लिए स्वच्छ और शांत स्थान चुनें। नवरात्रि के सप्तमी दिन या शनिवार को पूजा करना विशेष लाभकारी है।
2. **स्नान**:- पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
3. **सामग्री**:- दीपक**: घी या तेल का दीपक जलाएँ। और फूल**: काले या लाल रंग के फूल अर्पित करें। और फल**: विभिन्न फल, जैसे केला या नारियल। और मिठाई**: बेसन के लड्डू या कोई अन्य मिठाई चढ़ाएँ।
4. **पूजा विधि**:-
माता की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठें।
दीपक जलाएँ और अगरबत्ती लगाएँ।
फूल, फल और अन्य सामग्री अर्पित करें।
मंत्रों का जप करें।
5. **मंत्र जाप**:-
- "ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।"
- "ॐ ह्लीं कालरात्र्यै नमः।"
- 108 बार मंत्र का जप करें।
6. **आरती**:- पूजा के अंत में माता की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
कालरात्रि माता पूजा नियम:-
1. **निष्ठा और श्रद्धा**: पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ पूजा करें।
2. **स्वच्छता**: पूजा स्थल और अपने आस-पास स्वच्छता बनाए रखें।
3. **सकारात्मकता**: सकारात्मक सोच और भावनाओं के साथ पूजा करें।
4. **व्रत**: विशेष दिन पर व्रत रखने से माता की कृपा अधिक प्राप्त होती है।
5. **समर्पण**: सभी क्रियाएँ समर्पण भाव से करें।
इन नियमों का पालन करके आप कालरात्रि माता की पूजा कर सकते हैं।
कालरात्रि माता का प्रमुख मंत्र है:
"ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।"
इसके अतिरिक्त, आप निम्नलिखित मंत्र का भी जाप कर सकते हैं:
"ॐ ह्लीं कालरात्र्यै नमः।"
इन मंत्रों का जाप करने से माता कालरात्रि की कृपा प्राप्त होती है और सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इनका जाप करें।
कालरात्रि माता की पूजा के लिए निम्नलिखित नियम और विधियाँ अपनाएँ:
महागौरी माता पूजा विधि और महागौरी माता मंत्र
महागौरी माता पूजा विधि:-
1. **स्थान और समय**:- पूजा के लिए स्वच्छ और शांत स्थान चुनें। और नवरात्रि के अष्टमी या किसी भी शुभ दिन पर पूजा करें।
2. **स्नान**:
- पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
3. **सामग्री**:- दीपक**: घी या तेल का दीपक जलाएँ। और फूल**: ताजे फूल, विशेषकर सफेद या पीले फूल अर्पित करें। और फल**: विभिन्न फल, जैसे केले, सेब या नारियल।और मिठाई**: बेसन के लड्डू या कोई अन्य मिठाई चढ़ाएँ।
4. **पूजा विधि**:- माता की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठें। और दीपक जलाएँ और अगरबत्ती लगाएँ और फूल, फल और अन्य सामग्री अर्पित करें। और ध्यान करें और मंत्रों का जाप करें।
5. महागौरी माता मंत्र जाप**:-
- "ॐ देवी महागौर्यै नमः।"
- "ॐ ह्लीं महागौर्यै नमः।"
- 108 बार मंत्र का जप करें।
6. **महागौरी माता आरती**:-
पूजा के अंत में माता की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
महागौरी माता पूजा नियम:-
1. **निष्ठा और श्रद्धा**: पूजा को पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ करें। और स्वच्छता**: पूजा स्थल और अपने आस-पास स्वच्छता बनाए रखें। और सकारात्मकता**: पूजा के दौरान सकारात्मक सोच और भावनाएँ बनाए रखें। और व्रत**: व्रत रखने से माता की कृपा प्राप्त होती है और समर्पण**: सभी क्रियाएँ समर्पण भाव से करें।
इन नियमों का पालन करके आप महागौरी माता की पूजा कर सकते हैं।
महागौरी माता का प्रमुख मंत्र है:-
"ॐ देवी महागौर्यै नमः।"
इसके अलावा, आप निम्नलिखित मंत्र का भी जाप कर सकते हैं:
"ॐ ह्लीं महागौर्यै नमः।"
इन मंत्रों का जाप करने से माता महागौरी की कृपा प्राप्त होती है और भक्ति, सुख, और समृद्धि मिलती है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इनका जाप करें।
महागौरी माता की पूजा के लिए निम्नलिखित नियम और विधियाँ अपनाएँ:
सिद्धिदात्री माता पूजा विधि और सिद्धिदात्री माता मंत्र
सिद्धिदात्री माता पूजा विधि:-
1. **स्थान और समय**:- पूजा के लिए स्वच्छ और शांत स्थान चुनें। और नवरात्रि के नवमी दिन या किसी भी शुभ दिन पर पूजा करें।
2. **स्नान**:
- पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
3. **सामग्री**:- दीपक**: घी या तेल का दीपक जलाएँ। और फूल**: ताजे फूल, विशेषकर सफेद या पीले फूल अर्पित करें। और फल**: विभिन्न फल, जैसे केले, नारियल, या सेब। और मिठाई**: विशेष रूप से बेसन के लड्डू या अन्य मिठाई चढ़ाएँ।
4. **पूजा विधि**:- माता की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठें और दीपक जलाएँ और अगरबत्ती लगाएँ और फूल, फल और अन्य सामग्री अर्पित करें और ध्यान करें और मंत्रों का जाप करें।
5. **सिद्धिदात्री माता मंत्र जाप**:
- "ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।"
- "ॐ ह्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः।"
- 108 बार मंत्र का जप करें।
6. **सिद्धिदात्री माता आरती**:
- पूजा के अंत में माता की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
सिद्धिदात्री माता पूजा नियम:
1. **निष्ठा और श्रद्धा**: पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ पूजा करें।
2. **स्वच्छता**: पूजा स्थल और अपने आस-पास स्वच्छता बनाए रखें।
3. **सकारात्मकता**: पूजा के दौरान सकारात्मक सोच और भावनाएँ बनाए रखें।
4. **व्रत**: विशेष दिन पर व्रत रखने से माता की कृपा अधिक प्राप्त होती है।
5. **समर्पण**: सभी क्रियाएँ समर्पण भाव से करें।
इन नियमों का पालन करके आप सिद्धिदात्री माता की पूजा कर सकते हैं।
सिद्धिदात्री माता का प्रमुख मंत्र है:
"ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।"
इसके अलावा, आप निम्नलिखित मंत्र का भी जाप कर सकते हैं:
"ॐ ह्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः।"
इन मंत्रों का जाप करने से माता सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार की सिद्धियों और समृद्धियों की प्राप्ति होती है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इनका जाप करें।
सिद्धिदात्री माता की पूजा के लिए निम्नलिखित नियम और विधियाँ अपनाएँ:
मेरे प्यारे भक्तों मैंने मां जगत जननी जगदंबा की दुर्गा आरती के इमेज आप लोगों के लिए अपलोड किया हूं अगर आप देखना चाहते हैं उसे डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप उसे डाउनलोड कर सकते हैं और वह भी बिल्कुल फ्री में निचे क्लिक करें
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मेरे प्यारे भक्तों मैंने जो यह आर्टिकल आप लोगों के लिए बनाया हूं उसमें बहुत मेहनत लगे और सभी जानकारी एक-एक करके इकट्ठा करना पड़ा और उसके बाद में आप लोगों के लिए आर्टिकल लिखकर लेकर आया हूं उम्मीद करता हूं या आपको अच्छा लगा हो आप चाहे तो फ्री में और भी जानकारी ले सकते हैं इसी वेबसाइट पर अभी बिल्कुल फ्री लेकिन यह कुछ समय के लिए है इसलिए आप यह मौका जाने ना दे धन्यवाद।